दिल्ली में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर भिड़े विजेंदर-केजरीवाल
दिल्ली विधानसभा में बुधवार को उत्तरी दिल्ली में जारी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर चर्चा हई. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष और सीएम केजरीवाल ने एक दूसरे पर जमकर शब्दों के वार किए. विधानसभा में सबसे पहले नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने सफाई कर्मचारियों की मांगों पर विधानसभा में बोलते हुए दिल्ली सरकार पर दोहरे मापदंडों को अपनाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि सरकार ने 15 मार्च 2016 को अस्थायी सफाई कर्मचारियों को हटाने के आदेश दिये थे, वहीं सरकार आज उनके लिए घड़ियाली आंसू बहाकर सहानुभूति दिखा रही है. सरकार ने नगर निगमों को पंगु बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. वास्तव में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के लिए दिल्ली सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
सफाई कर्मचारी दिल्ली सरकार की नीतियों और आर्थिक मदद न मिलने से त्रस्त हैं. गुप्ता ने मांग की है कि सरकार अस्थायी कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन व बकाया राशि देने तथा नियमित कर्मचारियों को बकाया राशि देने के लिए 765 करोड़ रुपये की राशि बिना किसी देरी के जारी करे.
गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार पर चौथे दिल्ली वित्त आयोग के अनुसार 1500 करोड़ रुपये एमसीडी की तरफ अभी देय है, जबकि पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशें अभी सदन तक में नहीं रखी गई हैं.
केजरीवाल ने किया पलटवार
विजेंदर गुप्ता के आरोपों पर सीएम केजरीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के पास अनाप-शनाप पैसा नहीं है, जो बार-बार पैसा दे और एमसीडी नेता उसे खा जाए. केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दिल्ली से टैक्स के रूप में केंद्र सरकार को हज़ारों करोड़ रुपये मिलते हैं. लेकिन बदले में केंद्रीय वित्त आयोग दिल्ली के साथ भेदभाव करता है.
केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार अगर दिल्ली के हक का पैसा दे तो तुरंत एमसीडी का बकाया फंड दे दिया जाएगा. केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के भेदभाव वाले रवैये के खिलाफ दिल्ली सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाएगी. केजरीवाल ने कहा कि DDA के पास अर्बन डेवलपमेंट फंड है, 21 हजार करोड़ रुपये है, जिसकी FD कराकर रखी गयी है. अगर उसके ब्याज का पैसा ही एमसीडी को दे दिया जाए तो निगम की तंगी खत्म हो जाएगी. केजरीवाल ने अपील की है कि सभी अनशनकारी 5 सफाई कर्मचारी अपनी भूख हड़ताल को खत्म करें और काम पर वापस लौटें.