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अमेरिका ने नेट न्यूट्रैलिटी कानून वापस लिया

वाशिंगटन : समय और जरूरत के हिसाब से नियम कैसे बदलते हैं, यह अमेरिकी नियामकों के उस फैसले से समझा जा सकता है, जिसमें भारतीय मूल के अजित पई के नेट न्यूट्रैलिटी कानून वापस लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. हालाँकि आलोचकों ने इसे उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ बताया है.

उल्लेखनीय है कि फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने रिपब्लिकन द्वारा नियुक्त भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अजित पई के प्रस्ताव को वोटिंग में 3-2 से मंजूर कर लिया. इस के तहत उस नेट न्यूट्रैलिटी कानून को वापस ले लिया है, जिसमें इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए सभी तरह की सामग्री को समान रूप से उपलब्ध कराना अनिवार्य था. बता दें कि रिपब्लिकन बहुमत वाले आयोग ने 2015 के ओबामा प्रशासन के नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को पलट दिया है, उसमे यह प्रावधान था कि सभी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को सभी इंटरनेट सामग्री को समान रूप से उपलब्ध कराना होगा.

इस बारे में फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने अपने बयान में कहा कि इस फैसले से बहुप्रतीक्षित नियामक फ्रेमवर्क बहाल हो गया, जिससे करीब 20 साल तक इंटरनेट तेजी से बढ़ा. विस्तृत कानूनी, आर्थिक विश्लेषण और सभी पक्षों की प्रतिक्रिया जानने के बाद यह फैसला किया गया है. हालाँकि आलोचकों ने इसे उपभोक्ताओं के हित के खिलाफ और केवल बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों की मदद पहुंचाने वाला बताया है.

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