जब डॉ. विनायक सिंह, वरिष्ठ मौसम विज्ञानी हिमाचल मौसम विभाग के, ने रविवार को इस सीजन की पहली बर्फबारी की घोषणा की, तब हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में तापमान अचानक बर्फबारी के कारण 4°C तक गिर गया। हिमाचल प्रदेश के चंबा, कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में भारी बर्फ के साथ हल्की बारिश भी हुई, जबकि रोहतांग दर्रा पर सुरक्षा कारणों से सभी वाहनों को रोक दिया गया।
परिचय और मौसम की स्थिति
हिमाचल में पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) ने इस बार असामान्य रूप से जल्दी अपना असर दिखाया। सामान्यतः बर्फबारी अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में होती है, लेकिन इस वर्ष यह लगभग 20 दिन पहले आई। विभाग ने सोमवार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया, जिससे स्थानीय प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करने का संकेत मिला।
बर्फबारी की विस्तृत रिपोर्ट
चंबा, लाहौल‑स्पीति, सोलंग वैली और धौलाधार की पहाड़ियों पर धुंध और बर्फ का मिश्रण देखा गया। अटल टनल के एंट्री गेट पर बर्फ की महीनी परत जमा हो गई, जिससे कई फोटो‑स्नैपर्स ने अपने कैमरे बाहर निकाल लिये। रोहतांग पास पर बारिश‑बर्फ के मिश्रित रूप ने कई बार गरज-चमक के साथ मौसम को और उथला कर दिया। विभाग के अनुसार इस शाम के बाद न्यूनतम तापमान 14°C और अधिकतम 30°C रहने की संभावना है।
पर्यटकों की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय
स्थानीय और बाहरी पर्यटकों ने इस अचानक आघात को "सर्दियों की जल्दी बासना" कहा। एक दर्शक, रवि कौर, ने कहा, "पहली बर्फ के फुहार में चलना ऐसा महसूस हुआ जैसे हम किसी फिल्म के दृश्य में हों।" वहीं, हिमाचल पर्यटन विभाग ने जनता से आग्रह किया कि बर्फ के कारण फिसलन वाले रास्तों पर सावधान रहें और आधिकारिक अपडेट पर नजर रखें।

आर्थिक और पर्यटन प्रभाव
प्राथमिक बर्फबारी ने स्थानीय व्यवसायों को तुरंत तालियों की गड़गड़ाहट दिला दी। होटल, होटल के बुटीक और ट्रैकिंग गाइड्स ने बुकिंग में 30‑40% की बढ़ोतरी देखी। हालांकि, रोहतांग दर्रा पर बंदी से ट्रैकिंग समूहों को वैकल्पिक मार्ग अपनाने पड़े, जिससे कुछ यात्रियों को असुविधा हुई। प्रशासन ने कहा, "यदि बर्फबारी जारी रहती है तो पहाड़ी सड़कों के रख‑रखाव में अतिरिक्त संसाधन लगाए जाएंगे।"
आगामी मौसम की संभावनाएँ
मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 15 अक्टूबर के बाद भी बर्फबारी की संभावना बढ़ेगी। यदि इस प्रवाह में कोई बदलाव नहीं आया तो शीतकालीन पर्यटन पीक को सामान्य से पहले ही शुरू देखा जा सकता है। विभाग ने अलर्ट जारी रहने पर जोर दिया और लोगों से सतर्क रहने, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने वाले यात्रियों से सावधानी बरतने को कहा।

इतिहास में इस तरह की जल्दी बर्फबारी
पिछले पाँच वर्षों में हिमाचल में इस तरह के पूर्व‑अक्टोबर बर्फबारी की केवल दो ही बार रिकॉर्ड हुई है, एक 2019 में और दूसरा 2022 में। दोनों में ही कृषि‑उत्पादक क्षेत्रों में थोड़ी देर के लिए सूखे‑राहत मिली, लेकिन साथ ही बाढ़‑दर पन में भी वृद्धि देखी गई। इस बार का मौसम‑वैज्ञानिक विश्लेषण बताता है कि मझले भारतीय समुद्र की सतह तापमान में वृद्धि और ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों में ठंडी धारा के बीच का अंतर यह कारण हो सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बर्फबारी से स्थानीय किसानों पर क्या असर पड़ेगा?
जलवायु विशेषज्ञ कहते हैं कि देर से बर्फबारी से फसल के अंकुरण में थोड़ी देर तक देर हो सकती है, परंतु जल स्रोतों में जलभण्डारण बढ़ने से सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी उपलब्ध होगा।
रोहतांग दर्रा कब तक बंद रहेगा?
स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि सुरक्षा उपायों के बाद ही दर्रा खोलेंगे, जिसका अनुमान अगले 48‑72 घंटों में किया जा रहा है, लेकिन मौसम की स्थितियों पर अंतिम फैसला रहेगा।
पर्यटक किन वस्तुओं का ध्यान रखें?
वॉटर‑प्रूफ जूते, गर्म कपड़े, थर्मल बॉटल और सर्दी के ग्लॉव्स अनिवार्य हैं। साथ ही, स्थानीय आपातकालीन नंबर (112) को नोट कर रखें।
क्या बर्फबारी पर्यटन की कीमत बढ़ाएगी?
बहुत सी होटल और ट्रेकिंग एजेंसियां मौसमी दरें लागू कर रही हैं, इसलिए कुछ क्षेत्रों में कीमतें 10‑15% बढ़ सकती हैं, परंतु शुरुआती बर्फ़ का आनंद लेने वाले यात्रियों की मांग से लाभ भी हो सकता है।
भविष्य में इसी तरह की जल्दी बर्फबारी की संभावना है क्या?
मौसम वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ऐसे असामान्य पैटर्न बढ़ सकते हैं, इसलिए सरकार ने सतत मॉनिटरिंग को मजबूती देने की योजना बनाई है।