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सूर्यग्रहण 2018: जानें ग्रहण का समय, कहां होगा दीदार और भारत में दिखेगा या नहीं?

आपको बता दें कि इस साल 2018 में पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्रग्रहण हैं. 15 फरवरी 2018 को पहला सूर्यग्रहण है. इसके बाद दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई 2018 और तीसरा सूर्यग्रहण 11 अगस्त 2018 को होगा.

साल 2018 का पहला सूर्यग्रहण 15 फरवरी को होगा. इससे पहले 31 जनवरी को इस साल का पहला चंद्रग्रहण देखा गया था. इस ग्रहण के दौरान 152 साल बाद बहुत दुर्लभ संयोग बना, इस रात चांद 30 फीसदी ज़्यादा चमकीला था. इसके साथ ही अलग-अलग देशों में सुपर मून, ब्लड मून और ब्लू मून एक साथ देखे गए थे. अब आया है सूर्यग्रहण, जो 15 फरवरी की रात को पड़ेगा, जिस वजह से यह कई देशों में सूर्य नहीं दिखाई देखा. यहां जानिए किस वक्त दिखेगा यह ग्रहण, कहां होगा इसका दीदार और इसके बाद फिर कब आएगा ग्रहण.

आपको बता दें कि इस साल 2018 में पांच ग्रहण होंगे, जिसमें से 3 सूर्यग्रहण और 2 चंद्रग्रहण हैं. 15 फरवरी 2018 को पहला सूर्यग्रहण है. इसके बाद दूसरा सूर्यग्रहण 13 जुलाई 2018 और तीसरा सूर्यग्रहण 11 अगस्त 2018 को होगा. वहीं, पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी 2018 को था और दूसरा चंद्रग्रहण 27-28 जुलाई 2018 को होगा.

 ग्रहण का समय?
यह ग्रहण 15 फरवरी (गुरुवार) की रात 12.25 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी सुबह 4.18 तक रहेगा. हालांकि सूतक काल ग्रहण के लगभग 12 घंटे पहले यानी 15 फरवरी सुबह 11.35 पर शुरू हो जाएगा. सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है. जबकि चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन पड़ता है. आगे जानें कहां होगा इस ग्रहण का दीदार.

2018 का पहला सूर्य ग्रहण

कहां दिखेगा सूर्यग्रहण?
भारतीय समय के अनुसार यह सूर्यग्रहण रात के समय है, इसी वजह यह भारत में नहीं दिखाई देगा. यह दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, उरुग्वे और ब्राजील जैसे देशों में देखा जाएगा. अंटार्कटिका में यह अधिक देखा जाएगा.

क्या होता है सूर्य ग्रहण?
पृथ्वी सूरज का उपग्रह है और उसके चक्कर लगाती है. वहीं, चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और उसके चक्कर लगता है. यानी सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों परिक्रमा करते हैं. इसी दौरान जब भी यह तीनों एक सीधी रेखा में आते हैं तब सूर्य का प्रकाश चांद ढक लेता है. इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.

क्या होता है ग्रहण?
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार समुद्र मंथन के दौरान असुरों और दानवों के बीच अमृत के लिए घमासान चल रहा था. इस मंथन में अमृत देवताओं को मिला लेकिन असुरों ने उसे छीन लिया. अमृत को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया और असुरों से अमृत ले लिया. जब वह उस अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर अमृत पिने के लिए बैठ गया. जैसे ही वो अमृत पीकर हटा, भगवान सूर्य और चंद्रमा को भनक हो गई कि वह असुर है. तुरंत उससे अमृत छिना गया और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी.

ऐसे होता है सूर्य ग्रहण
क्योंकि वो अमृत पी चुका था इसीलिए वह मरा नहीं. उसका सिर और धड़ राहु और केतु नाम के ग्रह पर गिरकर स्थापित हो गए. ऐसी मान्यता है कि इसी घटना के कारण सुर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगता है, इसी वजह से उनकी चमक कुछ देर के लिए चली जाती है. वहीं, इसके साथ यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की राशि में सुर्य और चंद्रमा मौजूद होते हैं उनके लिए यह ग्रहण बुरा प्रभाव डालता है.

वहीं, विज्ञान के अनुसार यह एक प्रकार की खगोलीय स्थिति है. जिनमें सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक ही सीधी रेखा में आ जाते हैं. इससे चांद सूर्य की उपछाया से होकर गुजरता है, जिस वजह से उसकी रोशनी फिकी पड़ जाती है.

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