SC/ST एक्ट पर कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी मोदी सरकार
एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गर्माए राजनीतिक माहौल को देखते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पुनिर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटा कर हस्तक्षेप की मांग की तो सत्ता पक्ष के दलित सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर फैसले में सुधार की मांग की। पता चला है कि विधि मंत्रालय भी मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर विचार कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया था कि एससी -एसटी एक्ट में भी तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। यह आदेश उन आंकड़ों के आधार पर दिया गया था जिसमें पाया गया था कि बड़ी संख्या में इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है। विपक्ष ने तत्काल इसे राजनीतिक रंग देते हुए जिम्मा सरकार पर फोड़ा था। वहीं सतर्क भाजपा व सत्तापक्ष में भी कवायद शुरू हो गई थी। बुधवार को राहुल गांधी के नेतृत्व में कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। उन्हें बताया कि पिछले दस वर्षों में दलितों और पिछड़ों के खिलाफ अत्याचार बढ़ा है। ऐसे में अगर कानूनी प्रक्रिया ढ़ीली हुई तो अत्याचार और बढ़ेगा।
दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, भाजपा सांसद व एससी मोर्चा के अध्यक्ष विनोद सोनकर समेत राजग के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और इसके समाधान के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करने की अपील की। न्यायपालिका में भी आरक्षण व्यवस्था लागू करने की मांग की। बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने उनकी बातों को ध्यान से सुना। प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिया कि एससी-एसटी समुदाय की भलाई और विकास में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी।बताते हैं कि विधि मंत्रालय के स्तर पर पुनर्विचार याचिका के लिए विचार चल रहा है। सामाजिक अधिकारिता मंत्री गहलोत ने पहले ही घोषणा कर दी है कि सरकार पुनर्विचार याचिका लाएगी। लेकिन आगे बढ़ने से पहले सरकार हर पहलू पर विचार कर लेना चाहती है। दो दिन पहले सरकार में मंत्री व रालोसपा नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फैसले में सुधार के लिए आग्रह किया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन रामशंकर कठेरिया के नेतृत्व में आयोग का प्रतिनिधिमंडल भी बुधवार को राष्ट्रपति कोविंद से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार बढ़ेगा। इसलिए पुनर्विचार के लिए याचिका दायर की जाए।