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जाने क्या है गुड फ्राइडे

गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयायी गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। गुड फ्राइडे मार्च या अप्रैल मास में पड़ता है। गुड फ्राइडे को ईसा मसीह ने धरती पर बढ़ रहे पाप के लिए बलिदान देकर निःस्वार्थ प्रेम की पराकाष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत किया। इस दिन ईसा मसीह ने उत्पीड़न और यातनाएं सहते हुए मानवता के लिए अपने प्राण त्याग दिए।

ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया व मसीह ने प्राण त्यागे थे उस दिन शुक्रवार का दिन था और इसी की याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। अपनी मौत के तीन दिन बाद ईसा मसीह पुन: जीवित हो उठे और उस दिन रविवार था। इस दिन को ईस्टर सण्डे कहते हैं। गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है।

ईसाई लोगों के लिए गुड फ्राइडे का विशेष महत्व रखता है। इस दिन ईसा ने सलीब पर अपने प्राण त्यागे थे। यद्यपि वे निर्दोष थे तथापि उन्हें दंडस्वरूप सलीब पर लटका दिया गया। उन्होंने सजा देने वालों पर दोषारोपण नहीं किया बल्कि यह की कि ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।

यीशु युवा हुए तो घूम-घूमकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले लोगों को मानव जाति का शत्रु बताया। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्मपंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मृत्यु-दंड दे दिया। दो हजार वर्ष पूर्व ईसा मसीह को इसलिए मृत्युदंड दिया गया क्योंकि ईसा मसीह अन्याय और घोर विलासिता तथा अज्ञानता का अंधकार दूर करने के लिए लोगों को शिक्षा दे रहे थे।

उस समय यहूदियों के कट्टरपन्थी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने ईसा का भारी विरोध किया। उन्हें ईसा में मसीहा जैसा कुछ विशेष नहीं लगा। उन्हें अपने कर्मकाण्डों से प्रेम था। स्वयं को ईश्वरपुत्र बताना उनके लिये भारी पाप था। इसलिए उन्होंने उस समय के रोमन गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत कर। रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था, इसलिए कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिये पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीब) पर मृत्युदण्ड क्रूर दंड दिया।

 

यीशु को कई तरह की यातनाएं दी गईं। यीशु के सिर पर कांटों का ताज रखा गया। इसके बाद यीशु क्रूस(सलीब) को अपने कंधे पर उठाकर गोल गोथा नामक जगह ले गए। जहां उन्हें सलीब पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, वह शुक्रवार का दिन था। यीशु ने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा- ‘हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं।’ ऐसे शब्दों कहने के पश्चात् उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

ईसा परिवर्तन के पक्षधर थे। उन्होंने मानव प्रेम की सीमा नहीं बांधी वरन अपने बलिदान से उसे आत्मकेंद्रित एवं स्वार्थ से परे बताया।

गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयायी गिरजाघर जाकर प्रभु यीशु को याद करते हैं। श्रद्धालु प्रभु यीशु द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं। रात के समय कहीं-कहीं काले वस्त्र पहनकर श्रद्धालु यीशु की छवि लेकर मातम मनाते हुए पद-यात्रा निकालते हैं।

गुड फ्राइडे प्रायश्चित्त और प्रार्थना का दिन है अतः इस दिन गिरजाघरों में घंटियां नहीं बजाई जातीं बल्कि उसके स्थान पर लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है। लोग ईसा मसीह के प्रतीक क्रॉस का चुंबन कर भगवान को याद करते हैं। गुड फ्राइडे पर विश्व भर के ईसाई चर्च में सामाजिक कार्यो को बढ़ावा देने के लिए चंंदा व दान देते हैं।

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