एक चुटकी मसाला खाने का स्वाद तुरंत बदल देता है—यह छोटा सा बदलाव रोज़ाना खाने को खास बना देता है। लेकिन मसाले सिर्फ स्वाद के लिए नहीं होते; सही तरीके से चुनकर, स्टोर करके और सही वक्त पर डालकर आप खाना और भी बेहतर बना सकते हैं।
खरीदते वक्त खुशबू सबसे बड़ा संकेतक है। साबुत मसाले (जैसे जीरा, धनिया, सौंफ) लेने की कोशिश करें—ये पिसे मसालों से ताज़ा रहते हैं। पिसा मसाला केवल 4–6 महीने में अपनी खुशबू घटा देता है, जबकि साबुत मसाले 1 साल तक अच्छे रहते हैं। पाउडर खरीदें तो रंग और सूँघकर जांचें—बासी गंध न हो।
अगर आप बड़ी मात्रा नहीं खाते तो छोटे पैक लें या साबुत लेकर घर पर पीसें। कुछ खास मसालों की मांग कम हो लेकिन उपयोग कम होने पर भी वे बासी हो सकते हैं—इसलिए सिर्फ उनही को रखें जो आप नियमित इस्तेमाल करेंगे।
स्टोरेज आसान है: एयरटाइट ग्लास जार रखें, रसोई की सीधी धूप और चूल्हे की गर्मी से दूर, किसी ठंडी अलमारी में। पिसे मसालों पर आधे साल के अंदर नजर रखें; साबुत मसाले सालभर ठीक रहते हैं। पैक पर लिखी तारीख नज़र रखें—खरीद की तारीख लिख लें।
छोटी ट्रिक: दालचीनी, लौंग, छोटी इलायची जैसे साबुत मसाले हल्का रोस्ट करके फ्रिज में नहीं, कमरे के टेम्परेचर पर रखें—पर एयरटाइट में। जीरा और धनिया को हर बार पकाने से पहले हल्का भूनें, इससे खुशबू ताज़ा उठती है।
साबुत मसाले पीसने के टिप्स: छोटे बैच में पीसें, ग्राइंडर गरम न हो—थोड़ी देर ठंडा करके पिसें। हल्का भूनकर पीसने से तेल अलग निकलने का ध्यान रखें, पर स्वाद बेहतर बनता है।
स्वास्थ्य के छोटे-छोटे फायदे भी मसालों से जुड़े हैं: हल्दी में करक्यूमिन होता है, काली मिर्च करक्यूमिन की अवशोषण बढ़ाती है—इसलिए हल्दी के साथ थोड़ी काली मिर्च मिलाना अच्छा रहता है। दालचीनी को लोग ब्लड शुगर को संतुलित रखने के लिए पारंपरिक रूप से खाते रहे हैं; इसे दही या चाय में छोटी मात्रा में मिलाकर लिया जा सकता है।
खाना बनाते वक्त एक सामान्य नियम काम आता है: साबुत मसाले (राई, जीरा, साबुत धनिया) शुरुआत में तड़के में डालें; पिसे मसाले आमतौर पर खाने के अंतिम चरण में डालें ताकि उनकी खुशबू बनी रहे।
घर का गरम मसाला बनाने का आसान नुस्खा: 3 टेबलस्पून धनिया, 2 टेबलस्पून जीरा, 1 टेबलस्पून काली मिर्च, 8 छोटी इलायची, 6 लौंग और 2 छोटे दालचीनी के टुकड़े। इन्हें सूखी कढ़ाई में 1-2 मिनट हल्का भूनकर ठंडा करके पीस लें। हर बार थोड़ा-थोड़ा बनाएं—ताज़गी रहती है।
मसाले रोज़मर्रा के खाने को बेहतर बनाते हैं, पर सही तरीके से चुनना, स्टोर करना और इस्तेमाल करना ही उनका असली फायदा देता है। अगली बार मसाला लेते समय खुशबू और ताज़गी को प्राथमिकता दें—स्वाद खुद बोल उठेगा।