अमित शाह के हरियाणा दौरे से पहले जाटों की एकजुटता से खट्टर सरकार के हाथ-पांव फूले, CRPF की 150 कंपनी मांगी
हरियाणा में जाट आरक्षण की मांग के बीच मनोहर लाल खट्टर की मुश्किल बढ़ गई है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हरियाणा में आगामी 15 फरवरी को दौरा करने वाले हैं, लेकिन अमित शाह के इस दौरे के खिलाफ जाटों ने आंदोलन की धमकी दी है, जिसके बाद हरियाणा सरका के हाथ -पांव फूल गए हैं। शाह के दौरे को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से सीआरपीएफ की 150 कंपनियां भेजने की मांग की है, साथ ही सरकार से गुजारिश की है कि इन कंपनियों को 18 फरवरी तक प्रदेश में रहने दिया जाए, जिससे की प्रदेधश में शांति व्यवस्था को बरकरा रखने में प्रदेश को मदद मिल सके।
पुलिसकर्मियों की छुट्टी रद्द जाट संगठनों को प्रदर्शन के ऐलान के बाद प्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग के कर्मचारियों को छुट्टी देना बंद कर दिया गया है और उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया जाए और किसी भी तरह की अप्रिय घटना को ना होने दिया जाए। प्रदेश के आला अधिकारी का कहना है कि हमने अपनी मांग को केंद्र सरकार के सामने रख दिया है, अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार हमारी मांगों को किस स्तर तक स्वीकार करती है।
चल रही है आला बैठक हरियाणा की आईजी ममता सिंह ने ने भी केंद्र सरकार से सुरक्षाबलों की मांग की खबर की पुष्टि की है। आपको बता दें कि यशपाल मलिक के नेतृत्व में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि वह जींद में अमित शाह के दौरे के दौरान होने वाली बाइक रैली को रोकेगी, इसके लिए प्रदर्शनकारी यहां बड़ी संख्या में ट्रैक्टर और ट्रॉली इकट्ठा करने की योजना बना रहे हैं। वहीं इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के तमाम आला पुलिस अधिकारी सरकार के शीर्ष अधिकारियों संग बैठक कर रहे हैं।
भाजपा ने किया धोखा जाट नेताओं की धमकी को देखते हुए गुरुवार को वरिष्ठ अधिकारियों ने जींद में होने वाली अमित शाह की रैली स्थल का मुआयना किया। जाट नेता यशपाल मलिक ने जाटों के आंदोलन की वजह बताते हुए कहा कि भाजपा ने हमे धोखा दिया है, सरकार ने हमारी मांगों को पूरा करने का वायदा किया था, लेकिन उसने इन वायदों को पूरा करने की बजाए हमे धोखा दिया है, इसलिए हम अमित शाह की रैली का विरोध करेंगे।
एफआईआर वापस गौरतलब है कि एआईजेएएसएस ने मांग की थी कि सरकारी नौकरकियों व शैक्षणिक संस्थानों में जाटों को आरक्षण दिया जाए। साथ ही जाटों ने सरकार के सामने मांग रखी थी कि 2016 में विरोध प्रदर्शन के दौरान जो हिंसा भड़की थी, उसके बाद जिन तमाम लोगों को मुकदमा दर्ज किया गया था उसे वापस लिया जाए। हालांकि सरकार ने जाटों की इश मांग को स्वीकार कर लिया है और 2016 में हुई हिंसा के दौरान 822 लोगों के खिलाफ कुल 72 एफआईआर जो दर्ज की गई थी उसे वापस ले लिया है। प्रदेश के अडिशनल चीफ सेक्रेटरी एसएस प्रसाद ने कहा कि इन तमाम लोगों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने कि संस्तुति कर दी गई है।