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गोवा सरकार और खदान मालिकों को सुप्रीम कोर्ट का तगड़ा झटका,लौह अयस्क के खनन पर रोक, सभी पट्टे रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली गोवा सरकार और खदान मालिकों को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राज्य में लौह अयस्क की माइनिंग पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य के सभी 88 खनन पट्टों को रद्द कर दिया है। ऐसे में इन खदानों से सिर्फ 15 मार्च तक ही खनन किया जा सकेगा। न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर से दिए गए आदेश के अनुसार अब नई नीति के अंतर्गत फिर से खादानों का आवंटन होगा। इसके लिए नई खदानों को पर्यावरण संबंधी मंजूरी लेनी होगी। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए राज्य में खदान आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच एसआईटी से कराने के निर्देश दिए हैं।

एनजीओ गोवा फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई अदालत एनजीओ गोवा फाउंडेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार से गोवा में खनन कंपनियों के लिए नीलामी की एक नई प्रक्रिया शुरू करने को कहा। इस साल जनवरी में, गोवा पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिगंबर कामत के खिलाफ खनन पट्टे को नवीनीकृत करने में देरी को मंजूरी देने के लिए आरोपपत्र दायर किया था, जिसके कारण राज्य के खजाने को नुकसान हुआ था।

शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी एसआईटी ने सितंबर 2014 में मामला और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम 19 की धारा 1 के तहत दक्षिण गोवा प्रफुल्ला हेडे और खान एवं भूविज्ञान विभाग के अधिकारी एटी डी सूजा में कोलमे के मालिक कामत के खिलाफ मामला दर्ज किया था। राज्य की खान और भूविज्ञान विभाग की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

लौह अयस्क का खनन और उसके परिवहन को स्थगित कर दिया अक्टूबर 2012 में, अदालत ने न्यायाधीश एमबी शाह आयोग द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के बाद राज्य में सभी लौह अयस्क का खनन और उसके परिवहन को स्थगित कर दिया था, जिसमें पाया गया कि लाखों टन लौह अयस्क को अवैध रूप से खनन किया गया था। 2015 में, राज्य सरकार ने 88 खनन पट्टों का नवीकरण किया था।

 

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