पाक के लिए चुनौती बनी सईद की प्रतिबंधित चैरिटी
2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से जुड़े प्रतिबंधित चैरिटी पाकिस्तान के लिए गंभीर चुनौती है। सईद से जुड़े दो चैरिटी पर पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने रोक लगा दी। हाफिज के खिलाफ कार्रवाई की असल वजह पेरिस में होने जा रही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक है। इसमें पाकिस्तान को अपने खिलाफ बड़ी कार्रवाई का डर सता रहा है। एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को 2012 से 2015 तक डाला गया था।
इस्लामिक चैरिटी का बड़ा नेटवर्क है। जमात-उद-दावा से जुड़े सभी सुविधाओं स्विमिंग अकेडमी, मार्शल आर्ट क्लासेज, कार्यालय, स्कूलों, डिस्पेंसरी और सेमिनार समेत इसके तमाम नेटवर्क को पाकिस्तानी सरकार ने ले लिया है।
हालांकि सईद के नियंत्रण वाले विभिन्न चैरिटी पर नियंत्रण पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती है। सरकार के लिए इन्हें चलाना, ट्रैक और फंडिंग पर नियंत्रण और प्रतिबंधित चैरिटी के आय स्रोतों को फंडिंग करना कठिन होगा।
पंजाब सरकार मलिक मोहम्मद अहमद खान ने कहा, ‘हम अब भी जमात उद दावा की सुविधाओं के बारे में विवरण और जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं। इन्हें चलाने के लिए योजना बनाने को लेकर हमारे वित्तीय रणनीतिकार संघीय सरकार के संपर्क में हैं।‘
इस्लामाबाद ने उम्मीद जतायी है कि अमेरिका द्वारा आतंकी करार दिए गए संगठनों जेयूडी और फलाह-ए-इंसानियत का नियंत्रण जब्त कर लेने के बाद देश ग्लोबल वॉचलिस्ट में नहीं आएगा, जिसके लिए लंबे समय से अन्य देशों द्वारा पाकिस्तान की आलोचना की जा रही है।
लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर सईद को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी करार दिया गया था और 2012 में अमेरिका द्वारा उसपर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा गया। अफगानिस्तान व पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकियों को समर्थन देने के भारत और अमेरिका द्वारा लगाए गए आरोपों का पाकिस्तान लंबे समय से खारिज करता आया है।
2014 में अमेरिका ने जेयूडी को विदेशी आतंकी संगठन करार दे दिया। पाकिस्तान में 2018 को होने वाले आम चुनावों के लिए सईद ने भी अपनी राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग का गठन किया है।