प्रवीण तोगड़िया बोले, मेरे एनकाउंटर की साजिश रची गई थी, इसलिए हुआ गायब
आखिरकार वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया ने खुद यह बात स्वीकार कर ली है कि वह राजस्थान पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए गायब हुए थे। तमाम कयासों के बीच आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रवीण तोगड़िया ने दावा किया कि राजस्थान पुलिस ने उनके एनकाउंटर की साजिश रची थी, इसलिए वह खुद वीएचपी दफ्तर से गायब हो गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि वह हिंदू एकता के लिए प्रयास कर रहे हैं, इसलिए उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। अपनी बात कहते हुए तोगड़िया कई बार भावुक हो गए। उनकी आंखों में आंसू नजर आ रहे थे।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी के मुताबिक, जब तोगड़िया को पता चला कि राजस्थान पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आने वाली है तो वह वीएचपी ऑफिस से एक ऑटो में बैठकर रवाना हो गए। उनके साथ धीरू कपूरिया भी थे जो वीएचपी ऑफिस में ही काम करते हैं। ऑटो से तोगड़िया अपने एक करीबी दोस्त के यहां गए। वहां निकुल नाम का एक शख्स भी उनके साथ हो लिया। निकुल तोगड़िया के करीबी दोस्त का ड्राइवर है।
पुलिस ने बताया कि निकुल ने ही रात में कोटारपुर के पास 108 ऐम्बुलेंस को कॉल किया और स्टाफ से कहा कि वे तोगड़िया को सीधे चंद्रमणि अस्पताल ले जाएं। चंद्रमणि अस्पताल में तोगड़िया के करीबी दोस्त पहले से मौजूद थे। अस्पताल पहुंचते ही तोगड़िया को भर्ती कर लिया गया।
पुलिस की थिअरी साफ इशारा कर रही है कि गिरफ्तारी से बचने के लिए तोगड़िया दिनभर यहां वहां भागते रहे। राजस्थान पुलिस उनके घर भी गई, लेकिन वह पहले ही निकल चुके थे। पुलिस की मानें तो वीएचपी द्वारा उनकी गुमशुदगी की शिकायत और उनकी सलामती को लेकर किया गया धरना-प्रदर्शन सिर्फ एक ड्रामा था।
क्या है राजस्थान का मामला?
राजस्थान की गंगापुर कोर्ट ने दस साल पुराने दंगे के एक मामले को लेकर तोगड़िया के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया था। कई बार जमानती वॉरंट जारी होने के बावजूद जह वह कोर्ट में पेश नहीं हुए तो कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वॉरंट जारी कर दिया। इसी वॉरंट को तामील कराने के लिए राजस्थान पुलिस सोमवार को अहमदाबाद आई थी, लेकिन तोगड़िया के न मिलने पर उसे बैरंग लौटना पड़ा।