मोदी की शनिवार को शी से मुलाकात, SCO के मंच से पाकिस्तान को करेंगे बेनकाब
पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को चीन के तटीय शहर किंगडाओ में होने वाले दो दिवसीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने जा रहे हैं। यहां वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करेंगे। दोनों देशों के नेता हालांकि पहले भी एक दर्जन से ज्यादा बार मिल चुके हैं लेकिन किंगडाओ में शनिवार को होने वाली मुलाकात मध्य चीनी शहर वुहान में हुई ‘ऐतिहासिक अनौपचारिक मुलाकात’ के करीब दो महीने बाद हो रही है। एससीओ शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद पर चर्चा होगी। इसमें मोदी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने का मुद्दा उठा सकते हैं।
आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान को पिछले साल आधिकारिक रूप से इस आठ सदस्य सुरक्षा ब्लॉक में शामिल किया गया था। इस संगठन में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं। दो दिवसीय एससीओ समिट के अपने संबोधन में पीएम मोदी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्र में व्यापार निवेश बढ़ाने के साथ विश्व के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने में भारत की स्थिति को स्पष्ट कर सकते हैं।
दोनों देशों के बीच एक साल पहले दो महीने चले सैन्य गतिरोध के बाद 2018 में भारत और चीन के रिश्ते में सुधार होता हुआ दिखाई दे रहा है। चीन इंस्टिट्यूट ऑफ कंटेपरेरी इंटरनैशनल रिलेशंस के दक्षिण व दक्षिणपूर्व एशियाई एवं ओशियनियन संस्थान के निदेशक हु शीशेंग ने आईएएनएस को बताया, ‘यह एक महत्वपूर्ण मुलाकात है लेकिन स्वरूप में अधिक प्रतीकात्मक है। इसकी तुलना वुहान से नहीं की जा सकती। किंगडाओ में होने वाली मुलाकात औपचारिक होगी।’
मोदी शनिवार को शी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। मोदी और पुतिन के बीच पिछले महीने सोच्चि में अनौपचारिक मुलाकात हुई थी। एससीओ शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में मोदी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के मुद्दे को उठा सकते हैं। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताओं में से एक ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी की उपस्थिति होगी। चीन ने उन्हें फोरम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है।
एससीओ की यह अहम बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका खुद को इरान न्यूक्लियर डील से बाहर कर चुका है। इसके अलावा रूस पर प्रतिबंध लगाने और ट्रेड टैरिफ को लेकर चीन-रूस के साथ भी अमेरिका के रिश्ते तल्ख हुए हैं। कई सदस्य देशों के राजनयिकों का कहना है कि एससीओ में इन मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है। रूहानी की उपस्थिति का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते से अपने हाथ वापस खींच लिए हैं। चीन ने इस परमाणु समझौते की रक्षा का संकल्प लिया हुआ है। मंगोलिया, अफगानिस्तान और बेलारूस के साथ ईरान को शिखर सम्मेलन में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया है।
रूस और चीन से वॉशिंगटन के तल्ख रिश्तों के आलोक में इरान के अधिकारियों का कहना है कि एससीओ समिट शी चिनफिंग और पुतिन के लिए इस ग्लोबल मुद्दे पर मजबूत पक्ष रखने का मौका हो सकती है। अमेरिका ने पिछले महीने खुद को इरान न्यूक्लियर डील से अलग कर दिया था। अमेरिका के इस फैसले पर वैश्विक रूप से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं थीं।